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फूलन देवी की सच्ची कहानी: चंबल की बैंडिट क्वीन कैसे बनीं?

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फूलन देवी: चंबल की बंदूक वाली रानी की असली कहानी फूलन देवी: चंबल की बंदूक वाली रानी की असली कहानी प्रस्तावना: बंदूक, बदला और बहादुरी चंबल के बीहड़, जहाँ मिट्टी से ज्यादा कहानियाँ बिखरी पड़ी हैं—कुछ डरावनी, कुछ दुखभरी और कुछ ऐसी जो इतिहास बनने के काबिल हैं। ऐसी ही एक कहानी है फूलन देवी की—जिसे दुनिया ने डकैत कहा, पर चंबल ने रानी कहा। शुरुआत: एक गरीब लड़की की पीड़ा फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन ज़िले के एक छोटे से गांव में हुआ था। एक निम्न जाति की लड़की होने के कारण, बचपन से ही उन्हें अपमान और भेदभाव का सामना करना पड़ा। डकैत बनने का सफर: अन्याय के खिलाफ उठी आवाज़ पति के अत्याचार से तंग आकर फूलन वापस अपने गांव आ गईं, लेकिन समाज ने उनका साथ नहीं दिया। गांव के ज़मींदारों ने उन्हें बार-बार अपमानित किया। एक दिन उन्हें अगवा कर लिया गया और बेमई गांव में उन्हें बंदी बना लिया गया। विक्रम और फूलन: बीहड़ में बनी एक अनोखी जोड़ी डकैत विक्रम मल्लाह ने फूलन को शरण दी और बंदूक चलाना सिखाया। दोनों एक-दूसरे के साथी बन गए। फ...

सुनहरी बाई: चंबल की पहली महिला डकैत या न्याय की देवी

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सुनहरी बाई: चंबल की रानी या बीहड़ की आग? “जिसे दुनिया डकैत कहती थी, बीहड़ों ने उसे देवी समझा।” चंबल की कहानियों में अगर कोई नाम रहस्यमयी और दर्द भरा है, तो वह है सुनहरी बाई । एक औरत जो चंबल की धूल में पैदा हुई, पली-बढ़ी, और फिर वही धूल उसकी पनाह बन गई। उसके हाथों में चूड़ियाँ नहीं, बंदूक थी — लेकिन वो बंदूक अन्याय के खिलाफ थी। गाँव की बेटी से बीहड़ की बागी तक सुनहरी बाई का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था। गरीबी, भेदभाव और औरत होने की पीड़ा उसने बचपन से देखी। जब 14 साल की उम्र में उसकी शादी हुई, तब भी उसने सपनों से समझौता नहीं किया। लेकिन कुछ सपनों को समाज कुचल देता है। सुनहरी के साथ भी ऐसा ही हुआ। कहा जाता है कि उसके पति का उसके ऊपर अत्याचार आम बात थी। एक दिन जब वो पति के ज़ुल्म से तंग आकर मायके लौट रही थी, रास्ते में कुछ गुंडों ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया। पुलिस में शिकायत की, तो उल्टा उसी पर आरोप लगा दिया गया। यहीं से उसके भीतर आग लगी – समाज, कानून और व्यवस्था से लड़ने की। बीहड़ की पहली महिला डकैत सुनहरी बाई ने चंबल के बीहड़ों ...